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पीटीआर का तालिबानी फरमान: अब सुबह छह बजे मुस्तफाबाद गेट पर पहुंचो, नहीं तों कट जायेगा नंबर !

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आरोप: सूरज ढलते ही बना दिए जाते है नियम!
वन विभाग बोला, परेशानी है तो कर लेंगे पुनर्विचार !
शकुश मिश्र

पीलीभीत। जंगल सफारी जिप्सी चालक ध्यान दे, अब अगर समय पर नहीं पहुंचे तो नंबर काट दिया जायेगा। यह नियम पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तरफ से लागू किया गया है। पीटीआर का यह तालिबान फरमान सोमवार सूरज ढलते ही शाम छह बजे चंद जिप्सी चालकों की मीटिंग कर लागू कर दिया गया। इसी के तहत मंगलवार सुबह मात्र दस मिनट की देरी से पहुंचे, तीस जिप्सी चालकों के नंबर काटकर कार्रवाही कर दी गयी। अब वन विभाग की इस कार्रवाही के बाद जिप्सी चालकों में खासा आक्रोश पनप रहा है।
पूछे जाने पर विभागीय सूत्रों ने बताया, कि यह कोई तालिबान फरमान नहीं है। बल्कि व्यवस्था के तहत मुस्तफाबाद वन विश्राम पर बुलायी गयी अधिकारियों के गाइड एवं जिप्सी चालकों की बैठक के बाद लिया गया अहम फैसला है। बैठक सोमवार शाम करीब छह बजे आयोजित की गयी। लंबे चिंतन और मंथन के बाद निर्णय लिया गया। किसी भी गाइड या जिप्सी चालक को सुबह छह बजे तक हर हाल में मुस्तफाबाद पहुंचना होगा। जहां पहले आओ पहले पाओ की नीति के तहत बुकिंग दी जायेगी।
यानी अगर जल्दी बुकिंग पानी है। तो जल्दी पहुंचना होगा मीटिंग के बाद यह भी तय किया गया, कि जंगल में वन्य जीवों और सैलानियों की सुरक्षा हेतु सभी जिप्सी गाड़ियों में स्पीड कंट्रोलर लगाए जायेंगे। मतलब साफ है। कि अब जंगल क्षेत्र में जिप्सी चालक तीस किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक की रफ्तार नहीं पकड़ सकेंगे।
इस तालिबानी फरमान पर आक्रोशित जिप्सी चालकों ने बताया, कि विभागीय अधिकारियों द्वारा सूरज ढलने के बाद यह नियम बनाये गए और सूरज निकलते ही इन्हे लागू कर दिया गया। जिसकी पूर्णता जानकारी न होने पर जिप्सी चालक मंगलवार सुबह समय पर न पहुंच पाए। जिप्सी चालकों ने आगे बताया, कि मात्र दस मिनट की देरी से पहुंचने पर उनका नंबर काट दिया गया। और वह बुकिंग से महरूम रह गए। वन विभाग की उपेक्षा के शिकार करीब तीस जिप्सी चालक घंटों मुस्तफाबाद गेट पर बैठे रहे।
.....बर्जन बॉक्स.......
अब नियम बना है, तो अनुपालन भी जरूरी है!
वन विभाग द्वारा लागू किये गए नए नियम को लेकर महोफ रेंज के अधिकारी सत्येंद्र यादव ने लोक भारती संवाददाता को बताया, कि सुबह करीब छह बजकर तीस मिनट पर जंगल सफारी का समय शुरू होता है। जहां लेट लतीफी के चलते न तो जिप्सी चालक समय पर पहुँचते है। और न कोई गाइड दूरबीन से नजर आता है। सैलानियों को किसी तरह कि कोई समस्या न आये इसलिए इस व्यवस्था को लागू किया है। अब अगर इस व्यवस्था से पर्यटन से जुड़े लोगों को कोई परेशानी है। तो जल्द ही इस नई व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जायेगा, ताकि जंगल, जीव, सैलानी और पर्यटन के बीच सही समन्वय स्थापित किया जा सके।

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